जनसंचार के विद्वान डोमनिक व रोजर्स केे अनुसार पठनीयता उन सभी तत्वों को योग और क्रियात्मकता है जो कि किसी मुद्रित सामग्री के अंश के पढे जाने की सफलता पर प्रभाव डालंे। सफलता के मापक पाठकों द्वारा उस पठन सामग्री को समझने और पढ़ने पर निर्भर करते हैं।अतः उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर पठनीयता कि पाठकों के विवरण ;आयुवर्ग, समझ के स्तर, पारिस्थितिक अनुभवद्ध के आधार पर पठनीय सामग्री को आसान इकाई में प्रस्तुत करना। दूसरा, मुद्रित सामग्री, कम से कम किसी एक निश्चित पाठक वर्ग के लिए पठनीय हो। तीसरा, विषय-वस्तु की पठनीयता की सफलता इस बात पर निर्भर करें कि उस विषय-वस्तु का निश्चित पाठक वर्ग उक्त सामग्री को कितना समझ पाया है। विषयवस्तु के तत्वों का मापन पठनीयता सूत्रों द्वारा किया जाता । इन सूत्रों में प्रमुख मुख्य फ्लेश फार्मूला, फॉग इन्डैक्स, द क्लोजे मैथड ,एडवर्ड फ्राई शामिल है। लेकिन ये सभी फार्मूले अंग्रेजी विषयवस्तु की पठनीयता मापन के हैं। प्रस्तुत शोध के लिए अंग्रेजी के फॉग इन्डैक्स को आधार मान कर हिन्दी की विषय वस्तु मापन के लिए सूत्र तैयार किया गया है।
साहित्य अवलोकन
तहीरे-ए-रजे(1969-70) द्वारा एक अमेरिकन समाचार पत्र के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के संस्करणोें का पठनीयता अध्ययन किया गया। निष्कर्ष में उन्होंने पाया कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की खबरों की पठनीयता में काफी अंतर था जबकि सम्पादकीय लेखों की पठनीयता एक जैसी थी। अतः ग्रामीण क्षेत्र के पाठकों के लिए समाचारपत्र पढने में अपेक्षाकृत अधिक कठिन थे। स्टेमलपल गियडा (1981) ने ईरीच के अर्न्तगत 6 दैनिक समाचार पत्रोें के 21 विषयवस्तुओं का फलैश फार्मूला द्वारा पठनीयता अध्ययन किया जिसमें पाया कि अर्न्तराष्टीय खबरें पढने में कठिन थी। जबकि महिला संबंधी खबरें पढने में अपेक्षाकृत आसान थी। फरवरी 1995 में एनसीआरटी द्वारा अध्ययन किया गया जिसका उददेश्य प्राइमरी स्तर की पाठ्य पुस्तकों की पठनीयता का मूल्यांकन करना था, निष्कर्ष में पाया गया कि प्राइमरी स्तर की पुस्तकों की पठनीयता बिल्कुल उचित थी। 2005 में ईरीच के साथ मिलकर कई सारे अनुसंधान कर्ताओं ने पठनीयता संबंधी अध्ययन किए हैं। इस अध्ययन को आई आई लार्ज (1939), जीडी स्पेच (1953), डबल्यू बीईली (1969), जेआर बुरमूथ (1966) और हरीश जेकोबसन (1975 )ने इस विषय में 7 शोध अध्ययन किए हैं। (1953)में डबल्यू एल टेलर द्वारा पठनीयता के मापदंडो का एक व्यवहारिक रुप से आंकलन किया गया। इन शोधों के द्वारा पठनीयता के संबंध में इन प्रश्नों के उतर जानने की कोशिश की गईः- पठनीयता क्या है और इसे कैसे मापा जाए? पठनीयता पर शोध कार्य कितना सही है? इसकी सीमाएं क्या है? योलेय (1975) ने ईबादन के सीनियर सैकेंडरी स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा पढी जाने वाली पुस्तकों का अध्ययन किया और पाया कि उनका पठनीयता स्तर बहुत कम था। विद्यार्थी उन्हें भली प्रकार समझने में असमर्थ थे। बुरगून और विकिनसन ;2001 द्धने एक शोध अध्ययन किया जिसमें पाया कि समाचार पत्रों को अपनी प्रसार संख्या बढाने के लिए सही पठनीयता स्तर की आवश्यकता होती है। क्योंकि बडे वाक्य और कठिन शब्द विषयवस्तु को पढनें में बाधक होते है।
शोध उद्देश्य
1. दैनिक भास्कर के संपादकीय के पठनीयता ग्रेड का पता लगाना।
2. संपादकीय में प्रयुक्त औसतन शब्द संख्या, वाक्य की औसतन लंबाई, वाक्य में प्रयुक्त औसतन शब्द संख्या व औसतन कठिन शब्द संख्या का पता लगााना।
शोध विधि
प्रस्तुत शोध अध्ययन अंर्तवस्तु विश्लेषण के अंतर्गत पठनीयता सूत्र के आधार पर किया गया है। यह अन्वेषणात्मक अध्ययन है । इसके मापन सूत्र में सुधार की गुंजाइश हो सकती है।
इस शोध अध्ययन के अंर्तगत दैनिक भास्कर के अगस्त माह के संपादकीय पृष्ठ की पठनीतया का पता लगाया गया है। प्रस्तुत शोध में पठनीयता के इन तत्वों पर कार्य किया गया है- सपंादकीय की कुल शब्द संख्या, औसतन कुल वाक्य की संख्या, वाक्य की औसतन शब्द संख्या, कठिन शब्द संख्या, वाक्य में औसतन कठिन शब्द संख्या, पठनीयता स्तर।
पठनीयता जांचने का तरीका
अंग्रेजी भाषा में पठनीयता जांचने के कई फार्मूले हैं, परंतु हिंदी के लिए कोई भी नहीं है। प्रस्तुत शोध अध्ययन हिंदी में है। इसलिए अंग्रेजी थ्वह पदकमग की तर्ज पर ये सूत्र हिंदी भाषा के लिए तैयार किया गया है।
कुल शब्द संख्या = x
कुल वाक्य = Y
वाक्य में औसतन शब्द संख्या =X/Y (कुल शब्द संख्या /ध्कुल वाक्य)
कुल कठिन शब्द =Z (कुल कठिन शब्द /ध्कुल वाक्य)
औसतन कठिन शब्द=Z/Y
पठनीयता ग्रेड X/Y+Z/Y=R
1.यदि R 0 व 10 के बीच आता है तो विषय वस्तु पढ़ने में अति आसान है। यानि कि 0<R<10 है तो पठनीयता ग्रेड-1 स्तर की है और यह किसी भी साक्षर व्यक्ति द्वारा आसानी से पढ़ी जा सकती है।
2. यदि R 10 व 15 के बीच में आता है तो विषय वस्तु पढ़ने में आसान है। यानि कि 10<R<5 है तो पठनीयता ग्रेड-2 स्तर की है और यह बच्चों व टीनएजर्स के लिए अधिक पठनीय है।
3.यदि R 15 व 20 के बीच आता है तो विषय वस्तु पढ़ने में सामान्य है। यानि कि 15<R<20है तो पठनीयता ग्रेड-3 स्तर की है और यह उच्च शिक्षित लोगों के लिए सबसे अधिक पठनीय है।
4.यदि R 20 से 25 के बीच आता है तो विषय वस्तु पढ़ने में कठिन है। यानि कि 20<R<25है तो पठनीयता ग्रेड4 स्तर की है। और यह बुद्धिजीवी वर्ग के लिए सर्वाधिक पठनीय है।
5.यदि R 25 व 30 के बीच आता है तो विषय वस्तु पढ़ने में अति कठिन है तो पठनीयता ग्रेड-5 स्तर की है। और यह अति विद्वान वर्ग के लिए उपयुक्त है।
6.यदि R 30 से उपर है तो विषय वस्तु पढ़ने में अत्यंत दुरूह है जो समझ से परे है।
कठिन शब्दों का चयन
1 जो शब्द देा यो दो अधिक वर्ण से बने हैं।
2 जो शब्द अचानक से देखने पर आम बोलचाल की भाषा का न लगे।
3 जो बहुप्रचलित न हों।
आंकडों का विश्लेषण
क्र0 दिनांक कुलशब्द कुल वाक्य में कठिन वाक्य में पठनीयता ग्रेड GRADE
संख्या वाक्य औसतन शब्द औसतन
संख्या शब्द संख्या संख्या कठिनशब्द
संख्या